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Book overview
“सतमी के बच्चे” राहुल सांकृत्यायन का एक महत्वपूर्ण उपन्यास है जो समाज में व्याप्त असमानता और शोषण की समस्या पर आधारित है। यह उपन्यास विशेष रूप से भारतीय समाज के गरीब और निम्न वर्ग के बच्चों की स्थिति को उजागर करता है। सांकृत्यायन ने बच्चों के संघर्ष, उनके जीवन के कठिनाइयों और सामाजिक प्रथाओं पर प्रकाश डाला है। सतमी के बच्चे में लेखक ने बालक जीवन की मासूमियत और निरंतर संघर्ष को बहुत ही संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया है, जिससे समाज की जड़ता और शोषण की असलियत को सामने लाया है। विवरण: पुस्तक की प्राचीनता और दुर्लभता के कारण कुछ पृष्ठों पर पाठ टूटा हुआ और काला है। यदि आपके पास इन क्षतिग्रस्त पृष्ठों के स्थानया उपलब्धता के बारे में कोई जानकारी हैं। तो हम आपसे सहायता की मांग करते हैं। इसम हत्वपूर्ण कार्य की सफल बहाली के लिए आपका सहयोग महत्वपूर्ण है ताकि भविष्यकी पीढ़ियों के लिए इसका संरक्षण सुनिश्चित हो सके। लेखक के बारे में: राहुल सांकृत्यायन (1893-1963) हिंदी साहित्य के महान लेखक और बहुभाषा विद थे जिन्हें महापंडित की उपाधि प्राप्त थी। उन्होंने यात्रा साहित्यए बौद्ध धर्म और विश्व-दर्शन पर महत्वपूर्ण कार्य किए। उनका सबसे प्रसिद्ध योगदान हिंदी यात्रावृत्तांत और बौद्ध धर्म पर गहन शोध है। उन्होंने तिब्बत, श्रीलंका , मध्य-एशिया और रूस सहित कई देशों की यात्राएं की और उन अनुभवों को अपनी कृतियों में संजोया। उनकी प्रमुख कृतियाँ जैसे वोल्गा से गंगा, मेरी जीवन यात्रा और यूरोप यात्रा साहित्यिक दृष्टि से अमूल्य हैं। सांकृत्यायन का कार्य सामाजिक धार्मिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण रहा।








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